Friday, July 3, 2020

April 14, 2019

He is wishing You a very Happy New Year 2076 BS. He himself is feeling extremely heavyhearted these days. Such a condition was unhoped-for to him. An unpublished Hindi lyric to reflect on some of the strange problems that are keeping encircling his days and nights:
रोज नयाँ दिन आता-जाता
खुशी कभी गम लाता है ।
आज मिला कल है खो जाता
खुशी कभी गम लाता है ।।
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रैन बसेरा मन-पंछी का
पिंजड़ा क्यों हो जाता है ?
मन का पागल-गज आँखों में
ओस-बूँद भर लाता है ।
मन को पास बुलाता लेकिन
है परदेशीय नहीं आता
रोज नयाँ दिन आता-जाता
खुशी कभी गम लाता है । 
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सूरज मन का उग जाए तो
चांद कहीं छुप जाता है ।
मन ही दीपक मन ही तूफ़ाँ
ऐसा क्यों हो जाता है ?
ये मन तो हुआ जैसे दुल्हन
है इसे पराया ही भाता
रोज नयाँ दिन आता-जाता
खुशी कभी गम लाता है ।
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लिखा हुआ कुछ मिट जाता है
धुँधला सा रह जाता है ।
बादल मन का घना कुहा-सा
यादों को बरसाता है ।
जो मन का छाना छाया तो
है मन-भूचाल इसे ढाता
रोज नयाँ दिन आता-जाता
खुशी कभी गम लाता है ।
आज मिला कल है खो जाता
खुशी कभी गम लाता है ।।
© -गोपाल विरही
April 14, 2019

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