One night he dreamt that he has suddenly become an ocean, that he wants to become a rain cloud, to rain on dry land but the sun is sad, that You are having a rest on his beach, he is troubled and depressed of his own salinity, of his being always full, that he wants to be empty. Hindi piece:
सागर को बादल होने का मन है
बरस कर मिट्टी पर, महकने का मन है ।
थका हुआ है नमक को ढोते-ढोते
सागर को आह भरने का मन है ।
ये आंधी तूफान ये बोझ, उदासी
सूरज को भी मानो छिपने का मन है ।
किनारे पर मस्त सोते हो, बेरहम
अश्क के अल्फ़ाज़ सुनाने का मन है ।
भरा हुआ है न जाने कितने सदी से
समुन्दर को रीता होने का मन है ।
© -गोपाल विरही
April 24, 2019
सागर को बादल होने का मन है
बरस कर मिट्टी पर, महकने का मन है ।
थका हुआ है नमक को ढोते-ढोते
सागर को आह भरने का मन है ।
ये आंधी तूफान ये बोझ, उदासी
सूरज को भी मानो छिपने का मन है ।
किनारे पर मस्त सोते हो, बेरहम
अश्क के अल्फ़ाज़ सुनाने का मन है ।
भरा हुआ है न जाने कितने सदी से
समुन्दर को रीता होने का मन है ।
© -गोपाल विरही
April 24, 2019
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